रामचरितमानस चौपाई अर्थ सहित – Sri Ram Charit Manas Pdf Free Download रामचरितमानस | Ramcharitmanas in Hindi PDF download link is available below in the article, download PDF of रामचरितमानस | Ramcharitmanas in Hindi using the direct link given at the bottom of content.
PDF Name | रामचरितमानस | Ramcharitmanas PDF |
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No. of Pages | 1240 |
PDF Size | 74.9 MB |
Language | Hindi |
PDF Category | Religion & Spirituality |
Published/Updated | October 23, 2022 |
Source / Credits | aartipdf.com |
Ramcharitmanas संसार के प्रसिद्ध ग्रन्थों में से एक है। सम्भवतः ही कोई ऐसा हिन्दु घर हो जहाँ रामचरितमानस न हो। बड़े-से-बड़े महलों से लेकर गरीब की झोपड़ी तक इसके प्रति आदर एवं श्रद्धा प्रकट की जाती है। कुछ व्यक्ति धार्मिक दृष्टि से तो कुछ ऐतिहासिक दृष्टि से तो अन्य राजनैतिक दृष्टि से इसका अध्ययन-मनन करते हैं।
इस ग्रंथ की रचना ऐसे समय में हुई थी जबकि हिन्दू जनता अपना समस्त शौर्य एवं पराक्रम खो चुकी थी। विदेशियों के चरण भारत में जम चुके थे। वह समय दो विरोधी संस्कृतियों, साधनाओं और सभ्यताओं का संधिकाल था। ऐसे ही काल में युग-प्रवर्तक, उच्च कोटि के भक्त कवि तुलसीदास (Tulsidas) का प्रादुर्भाव हुआ। लोकचेतना के शक्तिशाली तत्वों की उन्हें अद्भुत पहचान थी। राम के लोकोत्तर चरित्र के अजर-अमर गायक रस-सिद्ध किया, वहीं समाज, जाति और राष्ट्र के प्राणों में नव-जागरण की चेतना के स्वर फूँके।
श्रीरामचरितमानस की ‘संवाद-शैली’ मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका आरंभ संवादों से होता है, मध्य भी और अंत भी। कथा के आधारभूत संवाद हैं- ‘शिव-पार्वती संवाद’, ‘गरूड़-काकभुशुण्डि संवाद’, और ‘याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद’। इनके अतिरिक्त ‘लक्ष्मण-परशुराम संवाद’, ‘रावण-अंगद संवाद’ आदि भी प्रभावशाली बन पड़े हैं। तुलसीदास जी ने मार्मिक स्थलों का चुनाव बड़ी कुशलतापूर्वक किया है। ‘राम-वनवास’, ‘भरत-मिलाप’, ‘सीताहरण’, ‘लक्ष्मण-मूर्च्छा’ आदि प्रसंगों को मार्मिक बना दिया गया है।
इस ग्रंथ में तुलसीदास जी ने मर्यादा पुरूषोत्तम राम को अवतारी रूप में अपना आराध्य मानकर उनका चरितगान किया है। उन्होंने अपने समय की प्रचलित सभी काव्य-शैलियों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है। ‘मानस’ का शिल्प बेजोड़ है। मानस में सात कांड हैं – बालकाण्ड (Balkand), अयोध्याकाण्ड (Ayodhya Kand), अरण्यकाण्ड (Aranya Kand), किष्किन्थाकाण्ड (Kishkindha Kand), सुन्दरकाण्ड (Sunderkand), लंकाकाण्ड (Lanka Kand) और उत्तरकाण्ड (Uttar Kand)। तुलसीदास ने इस महाकाव्य में अवधी भाषा का प्रयोग कर सर्वसाधारण के लिए रास्ता सुगम कर दिया। दोहा-चौपाई शैली का प्रयोग किया गया है।
Ramcharitmanas के माध्यम से तुलसीदास जी ने अपनी समन्वयवादी दृष्टि का परिचय दिया है। तुलसीदास जी ने यद्यपि अपने काव्य को ‘स्वान्तः सुखाय’ कहा है, पर तुलसी जैसे लोकचिन्तक महात्मा का अपना निजी सुख हो ही क्या सकता था? उनका सुख-दुःख भी पराया ही था। हिन्दू धर्म, हिन्दू जाति और हिन्दू संस्कृति का जितना उपकार ‘रामचरितमानस’ ने किया है, संभवतः किसी दूसरी साहित्यिक-कृति ने नहीं किया। वास्तव में इस ग्रंथ की जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी ही थोड़ी होगी। जीवन की कोई ऐसी समस्या नहीं, मन की कोई ऐसी उलझन नहीं जिसका समाधान इस महाकाव्य में न मिल सके।
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रामचरितमानस में कुल कितने कांड है? रामचरितमानस को तुलसीदास ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं – बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड।
रामायण ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई थी, जो भगवान राम के समकालीन थे। जबकि रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने की थी, जो मुगल सम्राट अकबर के समकालीन थे। रामायण संस्कृत भाषा में लिखी गई थी और ‘त्रेता-युग’ में रामचरितमानस अवधी भाषा में और ‘कलि-युग’ में लिखी गई थी।
रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण’ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है।