Brihaspati Dev Ki Aarti | बृहस्पति देव की आरती बृहस्पति के रूप में बृहस्पति हिंदू राशि प्रणाली में नवग्रह का हिस्सा है, जिसे शुभ और परोपकारी माना जाता है। ग्रीको-रोमन और अन्य इंडो-यूरोपीय कैलेंडर में “गुरुवार” शब्द भी बृहस्पति ग्रह (आकाश और गड़गड़ाहट के देवता) को समर्पित है। इनकी राशियाँ लगभग एक जैसी होती हैं।
Brihaspati Dev Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi
जय बृहस्पति देवा,
ऊँ जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊँ,
कदली फल मेवा ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥
चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥
तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्घार खड़े ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥
दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥
सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ,
संतन सुखकारी ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥
जो कोई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥
सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो बृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥
Brihaspati Dev Ji Ki Aarti Lyrics in English
Jai Brihaspati Deva,
Om Jai Vrhaspati Deva ।
Chhin Chhin Bhog Lagaon,
Kadli Phal Meva ॥
॥ Om Jai Brihaspati Deva..॥
Tum Puran Paramatma,
Tum Antaryami ।
Jagatapita Jagadishvar,
Tum Sabake Swami ॥
॥ Om Jai Brihaspati Deva..॥
Charanamrt Nij Nirmal,
Sab Patak Harta ।
Sakal Manorath Dayak,
Kripa Karo Bharta ॥
॥ Om Jai Brihaspati Deva..॥
Tan, Man, Dhan Arpan Kar,
Jo Jan Sharan Pade ।
Prabhu Prakat Tab Hokar,
Aakar Dwar Khade ॥
॥ Om Jai Brihaspati Deva..॥
Deenadayal Dayanidhi,
Bhaktan Hitakari ।
Paap Dosh Sab Harta,
Bhav Bandhan Haree ॥
॥ Om Jai Brihaspati Deva..॥
Sakal Manorath Dayak,
Sab Sanshay Haro ।
Vishay Vikar Mitao,
Santan Sukhakari॥
॥ Om Jai Brihaspati Deva..॥
Jo Koi Aarti Teri,
Prem Sahit Gave ।
Jethanand Aanandakar,
So Nishchay Pave ॥
॥ Om Jai Brihaspati Deva..॥
Sab Bolo Vishnu Bhagawan Ki Jai ॥
Bolo Brihaspati Bhagawan Ki Jai ॥
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बृहस्पति ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए आपको बृहस्पति बीज मंत्र अर्थात ॐ ग्राम ग्रीम ग्राम सः गुरुवे नमः का जाप करना चाहिए ! ऐसा ही जाप 19000 बार करें। देश-काल-पत्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में 4 बार जप करना चाहिए इसलिए 76000 बार जप करना चाहिए।
सारी वासनाओं से उठकर जब हम सिर्फ उस परमानंद को पाने की मानस चेष्टा करते हैं, प्रार्थना हमारे भीतर गूंजने लगती है। प्रार्थना, मंत्रों का उच्चारण मात्र नहीं है, मन की आवाज है, जो परमात्मा तक पहुंचनी है। अगर मन से नहीं है, तो वो मात्र शब्द और छंद भर हैं।
चौथा घर माता, पोषण, शिक्षा, घर और घरेलू शांति का घर है। 2. चतुर्थ भाव में बृहस्पति उपरोक्त सभी अर्थों से संबंधित अच्छे परिणाम देता है।
बृहस्पति के पुत्र कच थे जिन्होंने शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या सीखी। देवगुरु बृहस्पति की एक पत्नी का नाम शुभा और दूसरी का तारा है। शुभा से 7 कन्याएं उत्पन्न हुईं- भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती।
पीला रंग भगवान बृहस्पति देव का है. इसलिए गुरु से जुड़ी पीली वस्तुएं जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम, केला आदि दान करें. ऐसा करने से बृहस्पतिदेव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं. अगर अपनी कुंडली में बृहस्पति को उस स्थिति में लाना चाहता है तो गुरुवार के दिन व्रत रखने चाहिए.