Aarti

Navratri Durga Ji Ki Aarti | Navratri aarti PDF

Navratri Durga Ji Ki Aarti: चैत्र नवरात्रि पूजा में प्रतिदिन पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अनिवार्य मानी जाती है. यही नहीं, आम दिनों में भी पूजा के दौरान इस आरती की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में मां दुर्गा की आरती, जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी की वीडियो, टेक्स्ट को आप यहां से प्ले करके या पढ़ कर अपनी पूजा को संमपन्न कर सकते हैं.

जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

Navratri aarti PDF

दुर्गा जी की आरती कैसे करें?

आरती करते समय सबसे पहले देवि प्रतिमा के चरणों में चार बार घुमाएं, दो बार नाभि प्रदेश में, एक बार मुख मण्डल पर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं इस तरह चौदह बार आरती घुमानी चाहिए। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥ ॥ ॐ जय अम्बे गौरी…॥


नवरात्रि के 9 दिन में क्या करना चाहिए?

नवरात्रि के नौ दिनों तक रोजाना सुबह नहाकर पूजा स्थान और घर की अच्छे से सफाई करें. – मंदिर की सफाई करें और गंगा-जल से शुद्ध करें. इसके बाद विधि-विधान से पूजा करें. – देवी मां को लाल रंग काफी पसंद है इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां को लाल रंग के फूल अर्पित करें.

मां दुर्गा का शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥ कहा जाता है कि नवरात्रि में इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति गुणवान और शक्तिशाली बनता है। सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते।


माता की आरती कितने बजे होती है?

अत: पूजा-आरती के भी नियम हैं। नियम से की गई पूजा के लाभ मिलते हैं। समय : 12 बजे के पूर्व पूजा और आरती समाप्त हो जाना चाहिए। दिन के 12 से 4 बजे के बीच पूजा या आरती नहीं की जाती है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top