Durga Ji Ki Chalisa
Durga Chalisa PDF: दुर्गा चालीसा ( Durga Chalisa ) में मां के गुणों का वर्णन चौपाइयों द्वारा किया गया है। यहां अत्यंत लघु रचना है जिसमें मां के अनेक रूप, उनके द्वारा किए गए असुरों के वधो आदिओ का वर्णन है।
Durga Chalisa PDF
Maa Durga Chalisa PDF
दुर्गा चालीसा देवी दुर्गा देवी की चालीस छंदों की प्रार्थना है। यह अपने आरंभिक छंद “नमो नमो दुर्गे” से भी बहुत लोकप्रिय है। इस प्रार्थना में देवी दुर्गा के अनेक कार्यों और गुणों की स्तुति की जाती है। कई लोग प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का जाप करते हैं, और कई अन्य नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक अत्यधिक भक्ति के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करते है । कहा जाता है कि भक्ति भाव से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मन को शांति, साहस, शत्रुओं पर विजय और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
Durga Chalisa Path karne ke fayde
- दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों के कई दुख दूर होते हैं।
- इसका पाठ करने से जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में भी आनंद बना रहता है।
- दुर्गा चालीसा के जाप से हम मॉं दुर्गा को प्रसन्न कर सकते हैं।
- इस चालीसा के जाप से हम कामना करते हैं कि मॉं दुर्गा हमारा कल्याण करेंगी और हमारे सभी दुखों और दरिद्रता को दूर करेंगी।
- मॉं दुर्गा की स्तुति करते हुए हम उनके गुणों का भी इस चालीसा के जरिये गुणगान करते हैं।
- मॉं दुर्गा को इस कलयुग में पापों का नाश करने वाली शक्ति के रुप में देखा जाता है।
- दुर्गा चालीसा के पाठ से भक्तों को सतगुणों की प्राप्ति भी होती है।
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Durga Chalisa in Hindi
॥ चौपाई॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुख हरनी॥
हिंदी में अर्थ – सुख प्रदान करने वाली मां दुर्गा को मेरा नमस्कार है। दुख हरने वाली मां श्री अम्बा को मेरा नमस्कार है।
निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
हिंदी में अर्थ – आपकी ज्योति का प्रकाश असीम है, जिसका तीनों लोको (पृथ्वी, आकाश, पाताल) में प्रकाश फैल रहा है।
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटी विकराला॥
हिंदी में अर्थ – आपका मस्तक चन्द्रमा के समान और मुख अति विशाल है। नेत्र रक्तिम एवं भृकुटियां विकराल रूप वाली हैं।
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
हिंदी में अर्थ – मां दुर्गा का यह रूप अत्यधिक सुहावना है। इसका दर्शन करने से भक्तजनों को परम सुख मिलता है।
तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
हिंदी में अर्थ – संसार के सभी शक्तियों को आपने अपने में समेटा हुआ है। जगत के पालन हेतु अन्न और धन प्रदान किया है।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
हिंदी में अर्थ – अन्नपूर्णा का रूप धारण कर आप ही जगत पालन करती हैं और आदि सुन्दरी बाला के रूप में भी आप ही हैं।
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
हिंदी में अर्थ – प्रलयकाल में आप ही विश्व का नाश करती हैं। भगवान शंकर की प्रिया गौरी-पार्वती भी आप ही हैं।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
हिंदी में अर्थ – शिव व सभी योगी आपका गुणगान करते हैं। ब्रह्मा-विष्णु सहित सभी देवता नित्य आपका ध्यान करते हैं।
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
हिंदी में अर्थ – आपने ही मां सरस्वती का रूप धारण कर ऋषि-मुनियों को सद्बुद्धि प्रदान की और उनका उद्धार किया।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
प्रकट हुई फाड़कर खम्बा॥
हिंदी में अर्थ – हे अम्बे माता! आप ही ने श्री नरसिंह का रूप धारण किया था और खम्बे को चीरकर प्रकट हुई थीं।
रक्षा करि प्रहलाद बचायो।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो॥
हिंदी में अर्थ – आपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करके हिरण्यकश्यप को स्वर्ग प्रदान किया, क्योकिं वह आपके हाथों मारा गया।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
हिंदी में अर्थ – लक्ष्मीजी का रूप धारण कर आप ही क्षीरसागर में श्री नारायण के साथ शेषशय्या पर विराजमान हैं।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंदी में अर्थ – क्षीरसागर में भगवान विष्णु के साथ विराजमान हे दयासिन्धु देवी! आप मेरे मन की आशाओं को पूर्ण करें।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
हिंदी में अर्थ – हिंगलाज की देवी भवानी के रूप में आप ही प्रसिद्ध हैं। आपकी महिमा का बखान नहीं किया जा सकता है।
मातंगी धूमावति माता।
भुवनेश्वरि बगला सुखदाता॥
हिंदी में अर्थ – मातंगी देवी और धूमावाती भी आप ही हैं भुवनेश्वरी और बगलामुखी देवी के रूप में भी सुख की दाता आप ही हैं।
श्री भैरव तारा जग तारिणि।
छिन्न भाल भव दुख निवारिणि॥
हिंदी में अर्थ – श्री भैरवी और तारादेवी के रूप में आप जगत उद्धारक हैं। छिन्नमस्ता के रूप में आप भवसागर के कष्ट दूर करती हैं।
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
हिंदी में अर्थ – वाहन के रूप में सिंह पर सवार हे भवानी! लांगुर (हनुमान जी) जैसे वीर आपकी अगवानी करते हैं।
कर में खप्पर खड्ग विराजे।
जाको देख काल डर भाजे॥
हिंदी में अर्थ – आपके हाथों में जब कालरूपी खप्पर व खड्ग होता है तो उसे देखकर काल भी भयग्रस्त हो जाता है।
सोहे अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
हिंदी में अर्थ – हाथों में महाशक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र और त्रिशूल उठाए हुए आपके रूप को देख शत्रु के हृदय में शूल उठने लगते है।
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहूं लोक में डंका बाजत॥
हिंदी में अर्थ – नगरकोट वाली देवी के रूप में आप ही विराजमान हैं। तीनों लोकों में आपके नाम का डंका बजता है।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
हिंदी में अर्थ – हे मां! आपने शुम्भ और निशुम्भ जैसे राक्षसों का संहार किया व रक्तबीज (शुम्भ-निशुम्भ की सेना का एक राक्षस जिसे यह वरदान प्राप्त था की उसके रक्त की एक बूंद जमीन पर गिरने से सैंकड़ों राक्षस पैदा हो जाएंगे) तथा शंख राक्षस का भी वध किया।
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
हिंदी में अर्थ – अति अभिमानी दैत्यराज महिषासुर के पापों के भार से जब धरती व्याकुल हो उठी।
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
हिंदी में अर्थ – तब काली का विकराल रूप धारण कर आपने उस पापी का सेना सहित सर्वनाश कर दिया।
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
हिंदी में अर्थ – हे माता! संतजनों पर जब-जब विपदाएं आईं तब-तब आपने अपने भक्तों की सहायता की है।
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तव महिमा सब रहें अशोका॥
हिंदी में अर्थ – हे माता! जब तक ये अमरपुरी और सब लोक विधमान हैं तब आपकी महिमा से सब शोकरहित रहेंगे।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर नारी॥
हिंदी में अर्थ – हे मां! श्री ज्वालाजी में भी आप ही की ज्योति जल रही है। नर-नारी सदा आपकी पुजा करते हैं।
प्रेम भक्ति से जो यश गावे।
दुख दारिद्र निकट नहिं आवे॥
हिंदी में अर्थ – प्रेम, श्रद्धा व भक्ति सेजों व्यक्ति आपका गुणगान करता है, दुख व दरिद्रता उसके नजदीक नहीं आते।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताको छूटि जाई॥
हिंदी में अर्थ – जो प्राणी निष्ठापूर्वक आपका ध्यान करता है वह जन्म-मरण के बन्धन से निश्चित ही मुक्त हो जाता है।
जोगी सुर मुनि क़हत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
हिंदी में अर्थ – योगी, साधु, देवता और मुनिजन पुकार-पुकारकर कहते हैं की आपकी शक्ति के बिना योग भी संभव नहीं है।
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
हिंदी में अर्थ – शंकराचार्यजी ने आचारज नामक तप करके काम, क्रोध, मद, लोभ आदि सबको जीत लिया।
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
हिंदी में अर्थ – उन्होने नित्य ही शंकर भगवान का ध्यान किया, लेकिन आपका स्मरण कभी नहीं किया।
शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछतायो॥
हिंदी में अर्थ – आपकी शक्ति का मर्म (भेद) वे नहीं जान पाए। जब उनकी शक्ति छिन गई, तब वे मन-ही-मन पछताने लगे।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
हिंदी में अर्थ – आपकी शरण आकार उनहोंने आपकी कीर्ति का गुणगान करके जय जय जय जगदम्बा भवानी का उच्चारण किया।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
हिंदी में अर्थ – हे आदि जगदम्बा जी! तब आपने प्रसन्न होकर उनकी शक्ति उन्हें लौटाने में विलम्ब नहीं किया।
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुख मेरो॥
हिंदी में अर्थ – हे माता! मुझे चारों ओर से अनेक कष्टों ने घेर रखा है। आपके अतिरिक्त इन दुखों को कौन हर सकेगा?
आशा तृष्णा निपट सतावें।
मोह मदादिक सब विनशावें॥
हिंदी में अर्थ – हे माता! आशा और तृष्णा मुझे निरन्तर सताती रहती हैं। मोह, अहंकार, काम, क्रोध, ईर्ष्या भी दुखी करते हैं।
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
हिंदी में अर्थ – हे भवानी! मैं एकचित होकर आपका स्मरण करता हूँ। आप मेरे शत्रुओं का नाश कीजिए।
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि सिद्धि दे करहु निहाला॥
हिंदी में अर्थ – हे दया बरसाने वाली अम्बे मां! मुझ पर कृपा दृष्टि कीजिए और ऋद्धि-सिद्धि आदि प्रदान कर मुझे निहाल कीजिए।
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ॥
हिंदी में अर्थ – हे माता! जब तक मैं जीवित रहूँ सदा आपकी दया दृष्टि बनी रहे और आपकी यशगाथा (महिमा वर्णन) मैं सबको सुनाता रहूँ।
दुर्गा चालीसा जो नित गावै।
सब सुख भोग परम पद पावै॥
हिंदी में अर्थ – जो भी भक्त प्रेम व श्रद्धा से दुर्गा चालीसा का पाठ करेगा, सब सुखों को भोगता हुआ परमपद को प्राप्त होगा।
देविदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
हिंदी में अर्थ – हे जगदमबा! हे भवानी! ‘देविदास’ को अपनी शरण में जानकर उस पर कृपा कीजिए।
Durga Chalisa lyrics in hindi
नमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो अंबे दुख हरनी निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहू लोक फले उजियारी शशि लालत मुख महाविशाल नैत्र लाल ब्रुकुटि विक्रला रूप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुखपावेनमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो अम्बे दुख हरनी तुम संसार शक्ति लाई किना पालन हेतू अन्न धन दीना अन्नपूर्णा हुई जग पाला तुम ही आदि सुंदरी बालानमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो नमो अंबे दुख हरि प्रलयकाल सब नाशना हारी तुम गौरी शिव शंकर प्यारी शिव योगी तुम्हारे गुन गेवे ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावेनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी रूप सरस्वती को तुम धारा दे सुबुद्धि ऋषि मुनि न उबरा धारा रूप नरसिंह को अंबा परगट भई फाड़ कर खंबानमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी रक्षा कर प्रह्लाद बचाओ हिरणकुश को स्वर्ग पाठो लक्ष्मी रूप धरो जग माही श्री नारायण अंग समाहीनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी शिरसिंधु में करात विलासा दयासिंधु दीजय मान आस हिंगलाज में तुम्ही भवानी महिमा अमित न जात बखानीनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी मातंगी अरु धूमावती माता भुनवेनेश्वरी बगला सुख दाता श्री भैरव तारा जग तारिणी छिन भाल भाव दुख निवारिणीनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी केहर वाहन सोह भवानी लंगर वीर चलत अगवाणी कर में खप्पर खडग विराजे जाको देख काल डर भाजेनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी सोहे अस्त्र और है त्रिशूल जाते उठाते शत्रु ही या शूल नगरकोटि में तुम्ही विराजत तिहू लोक में डंका बजातनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अंबे दुख हरनी शुंभ नि शुंभ दानव तुम मारे रक्त बीज शंखन सौन्हारे महिषासुर नृप अति अभिमानी जेहि अघ भर माही अकुलानीनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी रूप कराल काली का धारा सेन सहित तुम तिहि सौन्हारा परी गढ़ संतान पर जब जब भयी सहाय मातु तुम टैब टैबनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अंबे दुख हरनी अमरपुरी अरु बासव लोक तब महिमा सब रहे अशोक ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी तुम्हें सदा पूजे नर नारीनमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो अंबे दुख हरनी प्रेम भक्ति से जो यश गावे दुख दारिद्र निकत नहीं आवे ध्यावे तुम्हें जो नर मान लाये जनम मारन ताको चोट जाईनमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो अंबे दुख हरनी जोगी सुर मुनि कहत पुकारी योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी शंकर आचारज तप कीनो काम अरु क्रोध जीति सब लिनोनमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी निशान धरो शंकर को काहू काल नहीं सुमिरो तुमको शक्ति रूप को मरम ना पायो शक्ति गई तब मान पछतायोनमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो नमो अम्बे दुख हरनी शरणगत हुई कीर्ति बखानी जय जय जगदम्ब भवानी भई प्रसन्न आदि जगदंबा दाई शक्ति नहीं किं विलम्बानमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी मोको मातु कश्त अति घेरो तुम बिन कौन हरे दुख मेरो आशा तृष्णा निपत सतवेय मोहम दादिक सब विन शाबेनमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो अम्बे दुख हरनी शत्रु नाश कीजय महारानी सुमिरो इकचित तुम्हे भवानी करो कृपा हे मातु दयाला रिद्धि सिद्धि दे कराहु निहलानमो नमो दुर्गे सुख करणी
नमो अम्बे दुख हरनी जब लगी जियो दयाफल पौ तुम्हारो यश मई सदा सुनौ दुर्गा चालीसा जो नीत गावे सब सुख भोग परम पावे पावे देवीदास शरण निज जानी करहु कृपा जगदम्ब भवानीनमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो अम्बे दुख हरनी शारंगत रक्षा करे भक्त रहे निशंक मैं आया तेरी शरण में मातु लिजी अंक- Kuber Chalisa | Kuber Chalisa in Hindi
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Durga Chalisa Lyrics English
Namo Namo Durge Sukh Karani ।
Namo Namo Ambe Dukh Harani ॥
Nirakar Hai Jyoti Tumhari ।
Tihoun Lok Phaili Uujiyaari ॥
Shashi Lalaat Mukh Maha Vishala ।
Netra Lal Bhrikoutee Vikaraala ॥
Roop Maatu Ko Adhik Suhaave ।
Darshan Karata Jana Ati Sukh Paave ॥4
Tum Sansar Shakti Laya Keena ।
Palana Hetu Anna Dhan Deena ॥
Annapoorna Hui Tu Jag Pala ।
Tumhi Aadi Sundari Bala ॥
Pralayakala Sab Nashana Haari ।
Tum Gouri Shiv Shankar Pyari ॥
Shiv Yogi Tumhre Gun Gaavein ।
Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyavein ॥8
Roop Saraswati Ka Tum Dhara ।
Day Subuddhi Rishi Munina Ubara ॥
Dharyo Roop Narsimha Ko Amba ।
Pragat Bhayi Phaad Ke Khamba ॥
Raksha Kari Prahlad Bachaayo ।
Hiranyaykush Ko Swarga Pathayo ॥
Lakshmi Roop Dharo Jag Maahin ।
Shree Narayan Anga Samahin ॥12
Ksheer Sindhu Mein Karat Vilaasa ।
Daya Sindhu Deejey Man Aasa ॥
Hingalaja Mein Tumhi Bhavani ।
Mahima Amit Na Jaat Bakhani ॥
Matangi Aru Dhoomawati Mata ।
Bhuvaneshwari Bagala Sukhdata ॥
Shree Bhairav Tara Jag Tarani ।
Chhinna Bhala Bhava Dukh Nivarini ॥16
Kehari Vahan Soha Bhavani ।
Laangur Veer Chalata Agavani ॥
Kar Mein Khappar Khadaga Virajay ।
Jako Dekh Kaal Dar Bhajey ॥
Sohe Astra Aur Trishula ।
Jase Uthata Shatru Hiya Shoola ॥
Nagarkot Mein Toumhi Virajat ।
Tihoun Lok Mein Danka Baajat ॥20
Shumbh-Nishumbh Daanuv Tum Maare ।
Rakta Beej Shankhana Sanghaare ॥
Mahishasur Nrip Ati Abhimaani ।
Jehi Agh Bhar Mahi Akulaani ॥
Roop Karaal Kali ka Dhara ।
Sen Sahita Tum Tihin Samhara ॥
Pari Gaarh Santana Par Jab Jab ।
Bhayi Sahay Matou Tum Tab Tab ॥24
Amarpuri Arubaa Sab Lokaa ।
Tab Mahima Sab Kahey Ashoka ॥
Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari ।
Tumhein Sada Poojey Nar Nari ॥
Prem Bhakti Se Jo Yash Gave ।
Dukh Daridra Nikat Nahin Aave ॥
Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Layi ।
Janma Maran Tako Chhouti Jaayi ॥28
Yogi Sur Muni Kahat Pukaari ।
Yog Na Hoye Bina Shakti Tumhari ॥
Shankara Acharaj Tap Ati Keenho ।
Kaam Krodh Jeet Sab Leenho ॥
Nishidin Dhyan Dharo Shankar Ko ।
Kaahu Kaal Nahin Soumiro Tumko ॥
Shakti Roop Ko Maram Na Payo ।
Shakti Gayi Tab Man Pachitayo ॥32
Sharnagat Huyi Kirti Bakhaani ।
Jai Jai Jai Jagadambe Bhavani ॥
Bhayi Prasanna Aadi Jagadamba ।
Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba ॥
Maukon Maatu Kashta Ati Ghero ।
Tum Bin Kaun Harey Dukh Mero ॥
Asha Trishna Nipat Satavein ।
Ripu Moorakh Mohe Ati Darpaave ॥36
Shatru Nash Kijey Maharani ।
Soumiron Ikchit Tumhein Bhavani ॥
Karo Kripa Hey Maatu Dayala ।
Riddhi Siddhi Dey Karahou Nihaala ॥
Jab Lagi Jiyoun Daya Phal Paoun ।
Tumhro Yash Mein Sada Sounaoun ॥
Durga Chalisa Jo Nar Gaavey ।
Sab Sukh Bhog Parampad Pavey ॥40
Devidas Sharan Nij Jaani ।
Karahoun Kripa Jagadambe Bhavani ॥
॥Doha॥
Sharanaagat Rakshaa Kare,
Bhakt Rahe Nishank ।
Main Aayaa Teri Sharan Me,
Maatu Lijiye Ank ॥
॥ Et Shree Durga Chalisa ॥
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ॐ दुर्गा, दुर्गतिशमनी, दुर्गाद्विनिवारिणी, दुर्ग मच्छेदनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गतोद्धारिणी, दुर्गनिहन्त्री, दुर्गमापहा, दुर्गमज्ञानदा, दुर्गदैत्यलोकदवानला, दुर्गमा, दुर्गमालोका, दुर्गमात्मस्वरुपिणी, दुर्गमार्गप्रदा, दुर्गम विद्या, दुर्गमाश्रिता, दुर्गमज्ञान संस्थाना, दुर्गमध्यान भासिनी, दुर्गमोहा, दुर्गमगा
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार दुर्गा अपने पूर्व जन्म में प्रजापति रक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। जब दुर्गा का नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया।
कथा है कि ब्रह्माजी ने असुरों का सामना करने के लिए सभी देवताओं की थोड़ी-थोड़ी शक्ति संगृहीत करके मां दुर्गा अर्थात् संघशक्ति का निर्माण किया और उसके बल पर शुंभ-निशुंभ, मधुकैटभ, महिषासुर आदि राक्षसों का अंत हुआ। मां दुर्गा की अष्टभुजा का मतलब आठ प्रकार की शक्तियों से है।